Saturday, 30 December 2017

Shanu Rathore, 8298346281, Shanu, Shanu photo, Sanu, Rathore

         आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं


Wednesday, 27 December 2017

Shanu Rathore, 8298346281, Shanu, Shanu photo, Sanu, Rathore



*अगर "जिंदगी" को "कामयाब"*
    *बनाना हो तो याद रखें,*

*"पाँव" भले ही "फिसल" जाये*

             *पर "जुबान" को*

*कभी मत फिसलने देना..

        _______*****
🍃🌾🌴🌸🌿🌷💐
  *"आशाएं ऐसी हो जो-*
              *मंज़िल तक ले जाएँ,*
  *"मंज़िल ऐसी हो जो-*
           *जीवन जीना सीखा दे..!*
 *जीवन ऐसा हो जो-*
               *संबंधों की कदर करे,*
*"और संबंध ऐसे हो जो-*
      *याद करने को मजबूर कर दे"*
*"दुनियां के रैन बसेरे में..*
   *पता नही कितने दिन रहना है,*
       *"जीत लो सबके दिलों को..*
  *बस यही जीवन का गहना हे*

🌷😀 *Good Morning*😀🌷
.....
 --
          ***********
*"समय और शब्द"*

*दोनो का उपयोग लापरवाही के*
*साथ न करें!*


                *क्योंकि*

*ये दोनो दुबारा न आते हैं*             
*न मौका देते हैं।।*


*नामदान पा चुकी हर आत्मा को परमपिता परमात्मा से मिलाने की जिम्मेदारी सतगुरु की होती है।*

*बशर्ते जो आत्मा मालिक के भाणे में रहे।*

             

          *।।राधास्वामी जी।।*
 
      *🙏🙏🙏🙏🙏*


              **************************
💐🌸🥀🌷🌺🕉🇮🇳🍁🌹🌷🌺 *देखकर दर्द किसी का, जो आह निकल जाती है,*
*बस इतनी सी बात, आदमी को इंसान बनाती है*..
        🌹 *सुप्रभात !!*🌹


      **************************
💐........🍃

*" सपने " वो होते है ,*
*"जो " ' सोने ' नही देते ;*

*और ...*

*" अपने " वो होते है ,*
*" जो " ' रोने ' नही देते l*

💐 *........* 💐

        **************************🍥🍥🍥🍥🍥🍥🍥🍥🍥

   गुरू के दरबार में
   दुनिया बदल जाती है..
   रहमत से हाथ की
   लकीर बदल जाती है..
   लेता जो भी दिलसे
   गुरू का नाम..
   एक पल में उसकी
   तक़दीर बदल जाती है ..!

  🍥🍥🍥🍥🍥🍥🍥🍥

      **************************🍀🌼🍀🌼🍀🌼🍀🌼🍀
*टूट* जाता है *गरीबी* मे
      वो *रिश्ता* जो खास होता है,
        हजारो यार बनते है
          जब *पैसा* पास होता है।
 🍀🌼🍀🌼🍀🌼🍀🌼
      ‬ रोज़ *याद* न कर पाऊँ तो
*खुदग़रज़* ना समझ लेना,
🍀🌼🍀🌼🍀🌼🍀🌼🍀
दरअसल छोटी सी *जिन्दगी* है।
और *परेशानियां* बहुत हैं..!!
🍀🌼🍀🍀🌼🍀🌼🍀🌼🍀
मैं *भूला* नहीं हूँ *किसी* को...
मेरे बहुत *अच्छे दोस्त है ज़माने में* ..
🍀🌼🍀🌼🍀🌼🌼🌼🍀
बस *जिंदगी उलझी पड़ी* है ..
*दो वक़्त की रोटी कमाने में।.*. .
🌹t 🌹

      **************************
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
*_विचार बहता हुआ "पानी" है_!*
      *_यदि "इसमें" आप_*
*_गंदगी "मिलाएंगे" तो वो_*
     *_"नाला" बन जायेगा_!*
*_और "सुगंध" मिलाएंगे तो फिर_!*
    *_वही "गंगाजल" कहलायेगा_!*

*_कोशिश करो "जिंदगी" का_!*
      *_हर "लम्हा" अच्छे से गुजरे_*
*_क्योंकि "जिंदगी" रहे ना रहे_!*
     *_मगर अच्छी "यादें" हमेशा_!*
      *_"जिंदा" रहती हैं _*

🌷 * 🙏सुप्रभातम🙏 🌷

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻



*_Morning Tweet....☕_*

     *_✏प्रयास छोटा ही सही लेकिन_*
               *_लगातार होना चाहिये_*
        *_बारिश की बूंदे भले ही छोटी हो_*
        *_लेकिन उनका लगातार बरसना_*
       *_बड़ी नदी का बहाव बन जाता है_*
         *_ऐसे ही हमारे छोटे छोटे प्रयास_*
             *_निश्चित ही जिंदगी में बड़ा_*
              *_परिवर्तन लाने में बड़ी_*
            *_सार्थक भूमिका निभाते हैं..✍🏻_*
  🌞🌞 *सुप्रभात* 🌞🌞
 🙏🙏 *नमस्कार* 🙏🙏
     *GOOD MORNING*
   💫💥 *@m@n* 💥💫
   🍂🍃🍁🍂🍃🍁🍃
*आपको आज का दिन शुभ हो।*

Monday, 25 December 2017

Shanu Rathore, 8298346281, 8709009858, sanu*, ****82

*_अहंकार_*
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*एक नगर में एक जुलाहा रहता था। वह स्वाभाव से अत्यंत शांत, नम्र तथा वफादार था।उसे क्रोध तो कभी आता ही नहीं था।*
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*एक बार कुछ लड़कों को शरारत सूझी। वे सब उस जुलाहे के पास यह सोचकर पहुँचे कि देखें इसे गुस्सा कैसे नहीं आता ?*
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*उन में एक लड़का धनवान माता-पिता का पुत्र था। वहाँ पहुँचकर वह बोला यह साड़ी कितने की दोगे ?*
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*जुलाहे ने कहा – दस रुपये की।*
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*तब लडके ने उसे चिढ़ाने के उद्देश्य से साड़ी के दो टुकड़े कर दिये और एक टुकड़ा हाथ में लेकर बोला –*
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*मुझे पूरी साड़ी नहीं चाहिए, आधी चाहिए। इसका क्या दाम लोगे ?*
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*जुलाहे ने बड़ी शान्ति से कहा पाँच रुपये।*
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*लडके ने उस टुकड़े के भी दो भाग किये और दाम पूछा ? जुलाहा अब भी शांत था। उसने बताया – ढाई रुपये।*
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*लड़का इसी प्रकार साड़ी के टुकड़े करता गया। अंत में बोला – अब मुझे यह साड़ी नहीं चाहिए। यह टुकड़े मेरे किस काम के ?*
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*जुलाहे ने शांत भाव से कहा – बेटे ! अब यह टुकड़े तुम्हारे ही क्या, किसी के भी काम के नहीं रहे।*
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*अब लडके को शर्म आई और कहने लगा – मैंने आपका नुकसान किया है। अंतः मैं आपकी साड़ी का दाम दे देता हूँ।*
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*संत जुलाहे ने कहा कि जब आपने साड़ी ली ही नहीं तब मैं आपसे पैसे कैसे ले सकता हूँ ?*
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*लडके का अभिमान जागा और वह कहने लगा कि ,मैं बहुत अमीर आदमी हूँ। तुम गरीब हो। मैं रुपये दे दूँगा तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर तुम यह घाटा कैसे सहोगे ?*
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*और नुकसान मैंने किया है तो घाटा भी मुझे ही पूरा करना चाहिए।*
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*संत जुलाहे मुस्कुराते हुए कहने लगे – तुम यह घाटा पूरा नहीं कर सकते। सोचो, किसान का कितना श्रम लगा तब कपास पैदा हुई।*
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*फिर मेरी स्त्री ने अपनी मेहनत से उस कपास को बीना और सूत काता। फिर मैंने उसे रंगा और बुना।*
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*इतनी मेहनत तभी सफल हो जब इसे कोई पहनता, इससे लाभ उठाता, इसका उपयोग करता। पर तुमने उसके टुकड़े-टुकड़े कर डाले। रुपये से यह घाटा कैसे पूरा होगा ?*
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*जुलाहे की आवाज़ में आक्रोश के स्थान पर अत्यंत दया और सौम्यता थी।*
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*लड़का शर्म से पानी-पानी हो गया। उसकी आँखे भर आई और वह संत के पैरो में गिर गया।*
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*जुलाहे ने बड़े प्यार से उसे उठाकर उसकी पीठ पर हाथ फिराते हुए कहा -*
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*बेटा, यदि मैं तुम्हारे रुपये ले लेता तो है उस में मेरा काम चल जाता। पर तुम्हारी ज़िन्दगी का वही हाल होता जो उस साड़ी का हुआ। कोई भी उससे लाभ नहीं होता।*
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*साड़ी एक गई, मैं दूसरी बना दूँगा। पर तुम्हारी ज़िन्दगी एक बार अहंकार में नष्ट हो गई तो दूसरी कहाँ से लाओगे तुम ? तुम्हारा पश्चाताप ही मेरे लिए बहुत कीमती है।*
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*संत की उँची सोच-समझ ने लडके का जीवन बदल दिया। ये कोई और नहीं ये संत थे, संत कबीरा।*
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏


Monday, 11 December 2017

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सोच branded होनी चाहिए कपड़े नहीं 😉😉
जिसको मुझ पर trust नहीं है…..उसकी मेरी जिंदगी में कोई जरूरत नहीं है

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